

अमीर खुसरो की रचनायें मुझे बेहद पसंद हैं॥ इनमें से एक आपके नज़र...
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,दुराये नैना बनाये बतियां।कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,न लेहो काहे लगाये छतियां।।शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह।सखि पिया को जो मैं न देखूंतो कैसे काटूं अंधेरी रतियां।।यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादूब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं।किसे पडी है जो जा सुनावेपियारे पी को हमारी बतियां।।चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरानहमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह।न नींद नैना, ना अंग चैनाना आप आवें, न भेजें पतियां।।बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबरकि दाद मारा, गरीब खुसरौ।सपेट मन के, वराये राखूंजो जाये पांव, पिया के खटियां।।
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,दुराये नैना बनाये बतियां।कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,न लेहो काहे लगाये छतियां।।शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह।सखि पिया को जो मैं न देखूंतो कैसे काटूं अंधेरी रतियां।।यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादूब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं।किसे पडी है जो जा सुनावेपियारे पी को हमारी बतियां।।चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरानहमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह।न नींद नैना, ना अंग चैनाना आप आवें, न भेजें पतियां।।बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबरकि दाद मारा, गरीब खुसरौ।सपेट मन के, वराये राखूंजो जाये पांव, पिया के खटियां।।
शिवानी ..